इशरत जहां मुठभेड़ की जांच करने वाले IPS अफसर सतीश चंद्र वर्मा बर्खास्त
इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच करने वाले गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को रिटायरमेंट से पहले ही सेवामुक्त कर दिया गया। सतीश चंद्र वर्मा 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। सरकार ने 30 अगस्त को आदेश जारी कर विभागीय कार्यवाही से संबंधित विभिन्न आधारों पर उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश पारित किया था।
कहा जा रहा है कि आईपीएस अधिकारी की बर्खास्तगी का एक कारण मीडिया से बात करना बताया जा रहा है जिसने देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नुकसान पहुंचाया। सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया जहां आईपीएस ने अपने खिलाफ कई अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी।
कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच में सीबीआई को की थी मदद
गुजरात में इशरत जहां की कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में उन्होंने अपना सहयोग दिया था. भारतीय पुलिस सेवा में 1986 बैच के अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को केंद्र सकार ने पिछले 30 अगस्त को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्तगी का आदेश दिया था। वे 30 सितंबर को रिटायर होने वाले थे।
आईपीएस अफसर ने केंद्र के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ने गृह मंत्रालय के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह बात दीगर है कि सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त किए जाने का आदेश जारी करने के असली कारण का अभी तक पता नहीं चल सका है। अगर वर्मा की बर्खास्तगी का आदेश लागू होता है, तो उन्हें पेंशन और अन्य फायदे नहीं मिलेंगे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा की आखिरी पदस्थापना तमिलनाडु में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक के तौर पर थी।
सतीश चंद्र वर्मा को एक साल से मिला है कोर्ट का संरक्षण
मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जहां आईपीएस अधिकारी ने अपने खिलाफ कई अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी। केंद्र सरकार ने 1 सितंबर से बर्खास्तगी आदेश लागू करने की मांग करते हुए एक आवेदन किया था। लगभग एक साल तक सतीश चंद्र वर्मा को हाईकोर्ट की ओर से संरक्षित किया गया, जिसने सरकार को आदेश दिया कि वह अनुशासनात्मक कार्रवाई पर त्वरित कदम नहीं उठाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में दी सरकार के आदेश को चुनौती
उधर, खबर यह भी है कि आईपीएस अफसर सतीश चंद्र वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सतीश चंद्र वर्मा के वकील सरीम नावेद ने कहा कि हमारे पास अभी भी सितंबर तक का समय है। हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में सतीश चंद्र वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्ति से पहले याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने का आदेश दिया है, जो अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुसार वैधानिक रूप से जायज नहीं है।